
जिंदगी जैसी भी थी
अच्छी थी, बुरी थी
डोर तो तुम्हारे ही हाथों थी
तुम चाहतीं तो उस डोर की मदद से मीलों दूर छलांग लगती
तुम चाहतीं तो उस डोर का झूला बनाकर जिंदगी के मज़े लेतीं
मगर तुमने वो डोर ही काट दी
न जाने ऐसा क्या हुआ जो तुम हमसे इतना रूठ गईं
अब जब भी तुम्हारा ख़याल आता है
तुम्हारा खिलखिलाता चेहरा सामने आता है
आँखें नम हो जाती हैं और यही गाना याद आता है
ये दिल तुम बिन कहीं लगता नहीं हम क्या करें
तस्सवुर में कोई बस्ता नहीं हम क्या करें
तुम्ही केह दो अब ऐ जान-ए-वफ़ा हम क्या करें
@safar_jahaan you will be missed!
-Pranali Padwekar (Batch 2021)